रेल मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार शाम मुस्कुराते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलनिस्वामी के साथ बाहर निकले और तमिलनाडु में बीजेपी का एआईएडीएमके के साथ गठबंधन का ऐलान किया। उन्होंने अतिउत्साह में कहा कि गठबंधन सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करेगा। उन्होंने इसमें तमिलनाडु की 39 और पुडुचेरी की एक लोकसभा सीट को शामिल किया।
एआईएडीएमके अब तमिलनाडु में पीएमके और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। सीट बंटवारे का जो फार्मूला तय हुआ है उसके मुताबिक पीएमके को 7 और बीजेपी को 5 सीटें मिली हैं, जबकि 27 पर एआईएडीएमके अपने उम्मीदवार उतारेगी। लेकिन यह तीनों पार्टियां पिछले चुनावों में अपना इतिहास भूल चुकी हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में पीएमके ने बीजेपी औप विजयकांत की पार्टी डीएमडीके के साथ गठबंधन किया था। आठ सीटों पर इस गठबंधन के उम्मीदवार थे, जिसमें से सिर्फ एक को जीत हासिल हुई थी। वह भी पीएमके प्रमुख अंबुमणि रामदौस को। बाकी की 6 सीटों पर वह तीसरे नंबर पर और एक पर चौथे नंबर पर रहे। इन सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई ती। पीएमके को ज्यादातर वोट वनियार बहुल उत्तरी और पश्चिमी तमिलनाडु से हासिल हुए थे।
हालत यह थी कि पार्टी का चुनाव चिह्न ‘आम’ ही उससे छिन सकता था। ध्यान रहे कि अगर कोई भी पार्टी कम से कम 6 फीसदी वोट हासिल नहीं कर पाती है, तो उसका चुनाव चिह्न छिन जाता है। पीएमके के हिस्से में सिर्फ 4.45 फीसदी वोट ही आए थे।
इस वास्तविकता के बावजूद डिप्टी सीएम और एआईएडीएमके के संयोजक ओ पनीरसेल्वल ने पीएमके-एडीएमके गठबंधन की जीत का भरोसा जताया है। पनीरसेल्वम शायद यह कहते हुए भूल गए थे कि पीएमके नेता रामादौस ने अपनी किताब ‘द कषगम स्टोरी: एआईएडीएमके फ्रॉम द बिगनिंग टिल नाउ’ में जयललिता, ओ पनीरसेल्वम और ई पलनिस्वामी के भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।
इस बार बीजेपी को 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मौका मिलेगा, लेकिन 2014 में उसने अपने 9 उम्मीदवार उतारे थे। सिवाए एक के उसके सारे उम्मीदवार हार गए थे। बस कन्याकुमारी से उसके उम्मीदवार पोन राधाकृष्णन जीत हासिल कर पाए थे।
तमिलनाडु के 2016 के विधानसभा चुनाव में भी पीएमके ने सभी 234 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा था और एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई। यहां तक कि उनके सीएम पद के उम्मीदवार और पार्टी प्रमुख ए रामादौस भी पेनाग्राम से हार गए थे। पीएमके उम्मीदवारों की 212 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। यानी 91 फीसदी सीटों पर उसकी जमानत भी नहीं बच पाई थी।
बीजेपी ने भी सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ा और सब पर मात खाई। उनके भी 180 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी। बीजेपी के तमिलनाडु अध्यक्ष तमिलसाइ सौंदर्यराजन भी बुरी तरह हारी थीं। लेकिन उन्होंने पार्टी का वोट शेयर 2011 के 2.2 फीसदी से बढ़कर 2016 में 2.8 फीसदी होने पर बधाई दी थी।
सिर्फ एक पार्टी थी जिसके किसी भी उम्मीदवार की जमानत जब्त नहीं हुई थी, वह थी डीएमके। डीएमके ने कुल 176 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। आंकड़े तो यह भी बताते हैं कि सत्तारूढ़ एआईएडीएमके के दो उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हुई थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि सत्तारूढ़ एआईएडीएमके ने जमानत जब्त कराने वाले दल पीएमके और बीजेपी के साथ गठबंधन क्यों किया है?
जवाब शायद हाल में आयकर विभाग की उस छापामारी में छिपा है जो जयललिता के करीबी रहे मुख्यमंत्री ई पनीरसेल्वम और उनके मंत्री एस पी वेलुमणि और पी थंगामणि के ठिकानों पर की गई थी। यही दोनों बीजेपी के साथ गठबंधन को आकार देने में सबसे ज्यादा सक्रिय नजर आए थे।